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Dera Baba Murad

  जै बाबा शेरे शाह जी | जै बाबा मुराद शाह जी | जै बाबा लाडी शाह जी

 

साईं जी 16 साल बापू जी के पास रहे और उनकी संपुर्ण आज्ञा का पालन करके उनके सबसे प्यारे बन गए, एक बार बापू जी ने ज़मीन के 30 फुट नीचे कुआँ खुदवाया उसमें बैठने की जगह बनवाई. उन्होंने पहले मोहन से पूछा "कूएँ में बैठेगा ?" मोहन तो पहले ही इस तरह के कामों से डरता था, उसने मना कर दिया. जहाँ गुरु पर भरोसा हो वहां डर नहीं रहता यह इम्तिहान कोई ज़ुल्म के लिए नहीं बल्कि परख के लिए होते हैं. फिर साईं जी से पुछा कुँए में बैठेगा ?. साई जी ने कहा जी हाँ बैठूंगा. बापू जी ने कुँए में सबसे नीचे साईं जी को बैठाया और 20 फुट पर खुद बैठे और ऊपर से कुआँ बंद कर लिया. कुछ दिन बीच में ही रहे फिर बाहर निकले, फिर बापू जी अकेले ही कुँए में बैठ गए और ऊपर से बंद कर लिया. दिन निकलते रहे पर बापू जी बाहर ना आए. फिर कुछ महीने निकल गए पर बापू जी बाहर ना आये, पर साईं जी बापू जी को याद करते रहते और उसी तरह अनुशासन से रहते जिस तरह बापू जी के सामने रहते थे. सवा साल बाद बापू जी बहार निकले उस दिन मेला लगा हुआ था, बापू जी अपनी मौज में आ गए और साईं जी को लाडी कहकर आवाज़ लगायी, पास बुलाया और घुंगरू देते हुए कहा "शेरनी का एक ही बच्चा होता है जो लाखों पर भारी होता है, कहते तू बन गया मुराद शाह, और आज के बाद दुनिया तुझे लाडी शाह के नाम से जानेगी, जा अब अपने मुरशद बाबा मुराद शाह की जगह पर बैठ और लोगों की मुरादें पूरी कर"

“जो बात दवा से बन ना सकी वह बात दुआ से होती है, जब कामल मुरशद मिलता है फिर बात खुदा से होती है”

साईं जी ने फिर बाबा मुराद शाह डेरे का निर्माण शुरू करवाया और खुद भी वहीँ रहने लगे, कुछ साल बाद एक बहुत ही खूबसूरत दरबार बना, साईं जी के पास दरबार का नक्शा बहुत साल पहले ही बना हुआ था कि आने वाला समय ऐसा होगा. साईं जी हर साल बाबा मुराद शाह जी का उर्स मनाते और कव्वाली भी होती. कव्वाली की महफ़िल हमेशा एक मलेरकोटला के कव्वाल 'करामत अली एंड पार्टी' ही शुरू करते. जिनकी पीढ़ी बाबा मुराद शाह जी के समय से चलती आ रही है. आज भी उन्ही की पीढ़ी कव्वाली की महफ़िल शुरू करती है. एक बार साईं जी ने पैसों की भरी चादर बाँध कर उन्हें दी और कहा करामात अली तेरा मेरा हिसाब पूरा. क्योंकि बाबा मुराद शाह जी ने एक बार कव्वालों से वादा किया था की तुम्हारा हिसाब तुम्हारे बेटों और पोतों को लाडी शाह जी पूरा करेंगे. इसी लिए साईं जी ने कितने गुना करके उन्हें दिया.

एक बार की बात है, बाबा मुराद शाह जी का मेला आने वाला था, साईं जी कुलदीप मानक (पंजाबी सिंगर) के पास गए और कहा कि हमारे बाबा जी का मेला आने वाला है, और उन्हें गाने के लिए आमंत्रण दिया। कुलदीप जी ने कहा 3500 लगेंगे, जो उस समय के हिसाब से ज्यादा थे। साईं जी ने कहा ठीक है ले लेना, बहुत कम लोगों को तब साईं जी के रुतबे के बारे में पता था। कुलदीप जी ने सोचा, पता नहीं यह पैसे दे भी पाएंगे या नहीं, और मज़ाक में कह दिया कि बाबा जी 3500 की तो आप भैंस भी खरीद सकते हो, साईं जी ने कहा आप मेले पर आओ फिर बात करते हैं, जब वह मेले पर आए तो साईं जी ने इतने नोट उनके ऊपर वारे कि मानक जी झुक के माथा टेकने लगे और कहा साईं जी बस करो, बक्श दो और माफ़ी मांगी, उस दिन ऐसे बक्शे की आज तक मानक मानक हो रही है दुनिया में ।

“आदमी आदमी को क्या देता है, वह तो बहाना है खुदा देता है, जब वह देता है तो बेहिसाब देता है और जब लेता है तो चमड़ी उतार लेता है”

पूर्ण शाह कोटी (मास्टर सलीम के पिता जी) भी साईं जी के पास अक्सर आते रहते थे, 1975 में वह साईं जी के साथ जुड़े और एक गहरा प्यार पड़ गया, साईं जी का भी उनके साथ बहुत प्यार था, पूर्ण जी ने जब शादी की तो सबसे पहले साईं जी के पास माथा टेकने आए, और जब जाने लगे तब साईं जी ने कहा कि “तुम्हारे एक लड़का होगा जिसका नाम तुम सलीम रखना, जिसको सारी दुनिया में शोहरत मिलेगी”, हुआ भी ऐसा ही, मास्टर सलीम ने संगीत की दुनिया में बहुत नाम कमाया, सलीम जी के गीत पहले इतने नहीं चले थे, तब साईं जी ने एक इशारा दिया था और कहा "सलीम जय माता की किया करो" सलीम जी ने अपनी माँ से पूछा कि साईं जी ने ऐसा क्यों कहा, मुझे समझ नहीं आया। उनकी माँ ने कहा, साईं जी ने तुझे माता की भेंट गाने को कहा है। सलीम जी ने माता की भेंटों की एक एल्बम निकाली जिस के बाद उन्हें बहुत कामयाबी और पर्सिधि मिली। फिर कुछ सालों बाद प्रोग्राम आने अचानक बंद हो गए और उनका काम बहुत कम होगया, वह अपने माता पिता के साथ साईं जी के पास गए और बैठ गए, साईं जी ने पूछा "सलीम क्या हुआ", सलीम जी ने कहा "साईं इतना कुछ चला कर, इतना कुछ दिखा कर, एक दम अँधेरा हो गया" साईं जी ने कहा "डर मत कभी कभी अँधेरे के बाद ऐसा उजाला आता है जो फिर कभी अँधेरा होने ही नहीं देता " फिर साईं जी ने पूछा कहाँ गाना है बता, पर सलीम जी ने कहा साईं जी जहाँ आप मौका दें। साईं जी ने कहा ठीक है फिर जाओ और गाओ गाओ गाओ, और कुछ दिन बाद सब फिर पहले जैसा हो गया। फिल्मों में भी मौका मिला, बड़े बड़े प्रोग्राम भी मिलने लगे और फिर आस्मां को छूह लिया। पूर्ण शाह कोटी जी को भी साईं जी ने कहा था कि तुझे फकीरी मिलेगी और कुछ साल बाद वह भी एक पीरों की एक जगह पर सेवा में लग गए, जहां वह दिन रात सेवा करते हैं।